Page 40 - Here and Now – Apr 2024
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अप जीव की सारी सफलताओिं और असफलताओिं को बाट्ा, इसम मैं प्रबलकल सहज थी, लप्रक ग्रप
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मरी सारी पीड़ा और द ख में साथ खड़ा जर आया, आचयज क ऱूप से ये अ जा लोग मर सख द ख क े
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सहभागी ब गए थे, ये लोग मरी हौसला अफजाई कर रह थे और अब सदस्य से मर साथी ब गए थे, म े
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दखा प्रक परा ग्रप मर साथ खड़ा है
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मर बाद ग्रप क े अन्य सदस्योिं े भी अप गजर जीव क े बार में बताया जो उन्ह परशा प्रकया करती थी,
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उस ग्रप में फप्रसप्रलट्ट्र भी सबक साथ हो गए थे, सब एक दसर को परी सहा भप्रत क े साथ स और समझ
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रह थे, बस वो बीच बीच में बतात रहत थे प्रक ग्रप कहा है, और आग बढ़ का च ाव आपका है
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म पाया प्रक ग्रप परी ईमा दारी से आपक बार में अप ी िप्रतप्रिया दता था, आप चाह उस स्वीकार कर या
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अस्वीकार, ये िप्रतप्रिया इत ी आसा भी होती थी प्रक सरलता से मा ली जाए या कार दी जाए, कछ
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जगहोिं पर ये पीड़ादाई भी होती थी, और कछ जगहोिं पर आ प्रदत कर वाली और राहत द वाली, समय क े
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साथ ये समझ आ लगा प्रक आप जो बोलत हैं उस हर बात का लोगोिं पर िभाव होता है, और प्रकस बात का
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क्या िभाव होता है , इस समझ ा जऱूरी है, म इस अप प्रलए बहुत जऱूरी सीख क े ऱूप में प्रलया, जो
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समह में काम करत समय मझ ध्या में रख ा चाप्रहए प्रक लोगोिं की िप्रतप्रिया हमार व्यवहार से ही उपजती
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है, प्रजसका ध्या रखा जा ा चाप्रहए, प्रकसी बात पर राय ब ा से पहल लोगोिं को स ा चाप्रहए, उ क अप े
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अ भव होत हैं, उ का सम्मा कर ा चाप्रहए, म सीखा प्रक लोग आपक बार में जो राय बतात हैं वो उ…
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म ग्रप क े सदस्योिं की सहायता से पाया प्रक हम व्यथ की जप्रट्लताए अप व्यवहार में ओढ़ रखी हैं और
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जो आ द सरलता में है ,सहजता में है वो , व्यवहार की जप्रट्लताओिं में हीिं ह।म पाया प्रक प्रक साधारण से
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प्रदख वाल लोगोिं क े जीव में साहस और सघर्ष की गाथा छपी हुई है, प्रकसी क े भी जीव क े अ भव साधारण
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हीिं हैं, म पाया प्रक जब आप मसीबत में होिंग लोग आपक साथ खड़ होिंग प्रब ा प्रकसी
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लबी जा पहचा क े,
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लब े यह बात भी समझा दी प्रक जब हम कप्रठ ता अ भव करत हैं तब
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हम पलाय का रास्ता च त हैं, और म ोरज भी उ म से एक रास्ता
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लब की इस यात्रा में बहुत कछ प्रमला, उतार चढ़ाव, स्वीकप्रत
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अस्वीकप्रत, सख और द ख, समझ आ लगा प्रक जो कछ भी घप्रट्त हो
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रहा है वो हमारा च ाव है, सब कछ अ ायास हीिं है और हम अप च ाव
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की प्रजम्मदारी ल ी चाप्रहए
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इस बीच एक िश्न मझ भारी लग लगा प्रक तम कहा हो? तम क्या महसस कर रही हो?और मैं इस िश्न का
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उत्तर ढढ पाई, प्रक मर भीतर क्या चल रहा है, अप ी ही भाव ाओिं को व्यक्त कर पा की असमथता को
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म पाया, प्रदमाग में चल रही बहुत सारी झझावातोिं से मझ समझ आया प्रक म खद को कहीिं खो प्रदया है,
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मझ खद की खप्रशयोिं क े बार में तक पता हीिं था, म खद की तलाश कर का फसला प्रलया, म कछ
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