Page 39 - Here and Now – Apr 2024
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                                                                                                      े
                अब ये  या शब्द आ गया था here and now, जो प्रकसी मसीबत से कम  हीिं लग रहा था, क्योिंप्रक ढर सारी
                                                    े
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                शाप्रत क े बीच here and now कछ बता  को समझ ही  हीिं आता था
                     ें
                                                         ु
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                हमम से ित्यक कछ बता ा चाहत वो अप  गजर समय या बाहर की घट् ाओिं पर आधाररत होता था,जो
                                                             ु
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                here एड now पर आकर ,शन्य में चला जाता था, ग्रप पर जबरदस्त दबाव आ गया था प्रक कर तो क्या कर  ें
                                               िं
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                इस बीच मरी जो स्थिप्रत थी वो ये भाप  की थी प्रक कोई कछ कर रहा है तो क्या कर  रहा है, कोई दबाव में
                                                                           े
                                                                                  ु
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                आकर फट् तो  हीिं पड़गा, कोई जबरदस्त झगड़ा तो  हीिं हो जायगा, मैं कछ बोल ा चाहती तो रोक दी
                                                             े
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                जाती प्रक क्या मैं चप  हीिं बठ सकती, और चप रह  क े सझाव को ये बोलकर खाररज कर दती प्रक हम यहा  िं
                     ै
                                                                                  े
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                चप बठ   हीिं आए हैं,पर फप्रसप्रलट्ट्र कछ और ही दप्र या में लगत थे, वो मरी बातोिं को खाररज कर दत थे
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                                                                     ू
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                और कहत प्रक ये बताओ प्रक भीतर क्या चल रहा है,क्या महसस हो रहा है और मैं इस बात को समझ पा  में
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                     ा
                समथ प्रक मर भीतर क्या चल रहा है, सब कछ समझ से बाहर लगता था, म  उलझ गया था प्रक here एड
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                now क्या है, और बीती बातोिं में जो गजरी प्रजदगी में या लब क े बाहर घप्रट्त हुईिं हैं उ म  हीिं जा ा है तो जा ा
                    िं
                कहा है
                                                                      े
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                                                                                                         े
                इसी बीच हमम से एक सदस्य  े पहल की क्योिं   हम एक दसर क े पररचय और लब में गजर समय को लकर
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                                                                                                  ू
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                एक दसर से कछ शयर कर, और फप्रसप्रलट्ट्र इस बात पर सहमत हुए, और हम सब  एक दसर क े बार         े
                                                                        े
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                में अप ी राय रखी, अब हम एक दसर क े साथ कछ सहज हो  काियास कर रह थे, पर उसक बाद भी
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                                                                           ु
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                शाप्रत में चल जात प्रक इसक बाद क्या, एक ही िश्न होता मझस प्रक तम कहा हो और तम्हार भीतर क्या चल
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                                                       े
                रहा है,मर पास कोई जवाब  हीिं था क्योिंप्रक मरी िप्रतप्रिया प्रकसी कारण को बताकर समाप्त होती और उन्ह  ें
                                                         े
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                कारण  हीिं चाप्रहए थाऔर ये िश्न मझ जस खा  लगा प्रक क्या चल रहा है जो मझ समझ  हीिं आ रहा है
                    े
                                                                                    ु
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                मझ लग रहा था प्रक मैं ही शायद इस स्थिप्रत में हिं या सब ऐसी स्थिप्रत में हैं, ग्रप में कोई सदस्य प्रकसी पर
                                                         ु
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                भरोसा कर  को तयार   था, इस बीच जो मझ फीड बक प्रमला था वो ये था प्रक जो मैं प्रदखती हिं वो मैं
                                                  िं
                                                                              ु
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                वास्तप्रवक में  हीिं सोच रही हिं, मरी आख कछ और बोलती हैं और मैं कछ और ही बोलती हिं, इ का कोई
                                                                  ा
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                                                                              े
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                मल  हीिं है, और अप  बार में ये बात मर प्रलए बहुत आचयज क थी, म  ऐसा कछ सोचा ही   था, क्या ऐसा
                     ु
                                         ु
                सचमच था?और यप्रद ऐसा कछ था तो क्या था जो भीतर था
                                                                            े
                                                                                         े
                                                                                                   े
                                                                                                    े
                                                                   िं
                मैं समझ  हीिं पा रही थी प्रक ऐसी कौ  सी बात थी, here एड now मरी समझ से पर हो गया, मर भीतर तो
                                                                                े
                                                                              ु
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                गजरी हुई प्रजदगी चल  लगी, लग  लगा प्रक क्या बीती पररस्थिप्रतयोिं  े मझ ऐसा ब ा प्रदया है प्रक मैं जो होती
                                                                        ु
                हिं वो बोलती  हीिं हिं और जो बोलती हिं वो होती  हीिं हिं, अब तक ग्रप इस स्थिप्रत में था प्रक आपस में प्रवश्वास
                                            ु
                           ू
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                                    े
                था प्रक एक दसर को बप्रझझक कछ बोल प्रदया जाए,
                               िं
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                                                                      े
                                                                                             ु
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                प्रफर म  here एड now को भलकर कारण ढढा और अप  गजर समय को बता ा शऱू प्रकया, ग्रप भी
                                                                ु
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                इसको चपचाप स   लगा, म  अप ी प्रजदगी क े उ  दखद पलोिं को बाट्ा जो मैं प्रकसी से शयर  हीिं प्रकया
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                                                                                            े
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                करती थी,मर जीव  क े दो पहल थे एक जो प्रदखता था और एक जो प्रछपा रहता था, मर प्रलए ये बता पा ा
                                                                                                           ैं
                                     ू
                बहुत कप्रठ  था, ये मालम   था प्रक प्रकसकी क्या िप्रतप्रिया होगी, जो भीतर था वो सब प्र काल प्रदया म   े
                 pg. 38
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